• दो भाग

    कभी आड़ी-टेढ़ी तो कभीमन मर्ज़ी से, सीधी मांग निकाले,मस्ती में मुक्त, झूमते, उड़ते कुँवारेधुले-धुले औ’ खुले-खुले बाल। फिर नियत की गई जगह पर सटीक-स्थिर मांग के रूप मेंदो भागों में बंट जाते हैं। और उनकी पसंद की चोटी या मुट्ठी भरजूड़े में सिमट कर रह जाते हैं। ।।मुक्ता शर्मा त्रिपाठी।।

  • #poem #video

  • जब वो मोम बन पिघल गए। तब वो अपने लगने लग गए।

  • Video on #corona

  • स्पर्श

    स्पर्श ऐ माँ! तू रोज़ कहानी सुनाती है। आज तू कुछ और सुना ।। चल आज तू मुझे अपनों से बचने का गुर सिखा। सुनाना है तो सुना मुझे , बताना है तो बता मुझे, कि करूं मैं कैसे स्पष्ट । अपने और पराए और अच्छे-बुरे का स्पर्श ।। कुछ स्पर्श मिर्ची से तीखे !…

  • आतंकवाद का अंत

    ।।आतंकवाद का अंत ।। जब-जब आतंक चलेगा चाल। क्रूर, निरंकुश बनेगा विकराल । कालिया नाग का मर्दन तब उचित है। आतंकवाद का अंत तो सुनिश्चित है। अत्याचारी का असीमित व्याभिचार। जब निरीह-प्राणियों पर करेगा वार। कंस का नाश होना तब उचित ही है। आतंकवाद का अंत तो सुनिश्चित है। सीमा ज्ञान से जो रहेगा दूर।…

  • मेरा कुछ मुझसे छूट गया है।

    मेरा कुछ मुझसे छूट गया मेरा कुछ मुझसे रूठ गया || कुछ मुझसे पीछे छूट गया || शाखों से गिरे जो पत्ते थे | जो हमने किए इकट्ठे थे | कुछ मुरझा से गए,कुछ दूर उड़े | वो मेरा पीपल जब पेड़ हुआ | यूँ मुझसे बचपन रूठ गया || यूँ मुझसे वह पीछे छूट…

  • ਅਣਖੀਲੇ

    ।।** ਅਣਖੀਲੇ **।। ਰੰਗ-ਰੰਗੀਲੇ, ਬੜੇ ਜੁਸ਼ੀਲੇ। ਧਰਤ ਪੰਜਾਬ ਦੇ, ਪੰਜਾਬੀ ਸਜੀਲੇ। ਸਿਆਣੇ ਗਾਉਂਦੇ ਜੋ ਵਹਿ ਨੇ ਗਏ ਸਮੇਂ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦੇ। ਕਿੱਥੇ ਅਣਖੀਲੇ, ਰੰਗ-ਰੰਗੀਲੇ । ਧਰਤ ਪੰਜਾਬ ਦੇ, ਪੰਜਾਬੀ ਸਜੀਲੇ । ਉਹ ਹੀ ਹੋਇਆ, ਨਸ਼ੇ ਚ’ ਭਿੰਉਆ ਪੰਜਾਬ ਇਹ ਸਾਰਾ ਨਸ਼ੇ ਦੀ ਅੱਗ’ਚ ਰੁੜ ਗਿਆ ਸਾਰਾ (ਕਿੱਥੇ ਅਣਖੀਲੇ——-ਸਜੀਲੇ) ਮੰਡੀਰ ਨੂੰ ਭਾਉਂਦੇ, ਗੀਤ ਨੇ ਗਾਉਂਦੇ ਮਨ ਮੋਹਣੇ…

  • कागज़ की गेंद कहानी

    कागज की गेंद ‘मैं बता नहीं सकती कि आज मुझे कैसा लग रहा है’ यह शब्द मुझे सीमा मेरी सहेली कह रही थी जो लगभग 1 साल के बाद मेरे घर आई थी।आई भी नहीं कह सकते, वास्तव में घर के आगे से गुजर रही थी तो मैंने ही आवाज़ लगाई और हाल-चाल पूछते-पूछते चाय…

  • सच्चा प्रेम

    ।। सच्चा प्रेम ।। तुम्हारी इन गलियों में मैं जब चलती हूँ । तो लगता है कि जैसे तुम !! अदृश्य !! कभी मेरे आगे-आगे तो कभी पीछे-पीछे चलते हुए मुझ पर नजर रखे हो! और हंसते हो कि खोजने, देखने, मिलने, पाने तो मुझे आती है यहाँ!! मगर फिर घर वालों को ही खुश…

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