।।आतंकवाद का अंत ।।

जब-जब आतंक चलेगा चाल।
क्रूर, निरंकुश बनेगा विकराल ।
कालिया नाग का मर्दन तब उचित है।
आतंकवाद का अंत तो सुनिश्चित है।

अत्याचारी का असीमित व्याभिचार।
जब निरीह-प्राणियों पर करेगा वार।
कंस का नाश होना तब उचित ही है।
आतंकवाद का अंत तो सुनिश्चित है।

सीमा ज्ञान से जो रहेगा दूर।
अहं-शक्ति के नशे में चूर।
रावण-दहन करना तब उचित ही है ।
आतंकवाद का अंत तो सुनिश्चित है।

होंगी नापाक जब भी पाक की हरकतें ।
छिप-छिप के छीनना चाहेगा बरकतें।
सर्जिकल का विकल्प तब उचित ही है।
आतंकवाद का अंत तो सुनिश्चित है।
।।मुक्ता शर्मा ।।

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